Monday 25 July 2011

मेरा घर...

कोठी की चाहत हो जिन्हें हो...
मुझे तो प्यार भरा एक घर चाहिये...
दीवारे हों खुश्बूओं से बनी...
और घर तेरे प्यार के रंग में रंगा होना चाहिए...
नहीं चाहती मैं सजावट की कीमती चीज़ें...
और फर्श दरीचे संगमरमर की..
मुझे बस तेरी प्यार भरी एक नज़र चाहिए...
फूलों की सेज दे सको तो ना सही...
ना करा सको मुझे सैर चांदनी की तो ना सही...
पर फूलों की तरह मुझे तेरे प्यार में सदा एक ताजगी चाहिए...
नहीं चाहिए मुझे शानो शौकत...
नहीं चाहिए मुझे लोगों की जय जयकार...
पर मुझे तेरे प्यार में सदा एक सादगी चाहिए...
कदम कदम पर कांटे हैं...
कदम कदम पर है ठोकरें...
इस जीवन के कठिन डगर पर...
मुझे मेरा हमसफ़र...
मेरा मुहाफ़िज़ चाहिए...!!!










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