Saturday 1 March 2014

तुम बिल्कुल वैसे नहीं हो...



तुम बिल्कुल वैसे नहीं हो
जैसा मैने सोचा था
लेकिन तुम वैसे भी नहीं हो
जैसा तुमने कहा था
तुमने तो कहा था कि
तुम बड़े भावुक हो
आंसू बहानेवाले
और उनको समझनेवाले
कई बार मैनें खुद
नमकीन कतरों से डूबी
तुम्हारी भूरी आंखों को देखा था
फिर आज क्यों तुम
मेरे दर्द, मेरे आंसुओं
मेरी तकलीफ, मेरी भावनाओं
को समझ नहीं पा रहे

किसी औरत का
मर्द की जिंदगी में आना
एक आम बात हो सकती है
जिंदगी का एक पन्ना
भर पलटना हो सकता है
लेकिन औरत के लिए
उसका पूरा जीवन बन जाता है
उसका पूरा इतिहास
जिसे बदलना आसान नहीं होता

कितना विश्वास दिलाया था तुमने
कितना प्यार है एहसास कराया था
तुमने
फिर आज क्यों ऐसा नहीं है
जैसा पहले दिखाया था तुमने
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