मुहब्बत अब जीते जागते लोगों से नहीं बल्कि उनकी तस्वीर से हो जाती है कम से कम वह उसी तरह दिखते हैं जैसा देखना हम चाहते हैं मुहब्बत का जवाब मुहब्बत से देते हैं और शिकायत करने पर रूठते भी नहीं और नहीं जाते छोड़कर कभी इसलिए मुहब्बत अब जीते जागते लोगों से नहीं बल्कि उनकी तस्वीर से हो जाती है
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