तन्हा हम आतें हैं, तन्हा ही चले जातें हैं
साथी का होना,हमसफ़र का साथ चलना
बस एक दिखावा है
यहाँ प्यार बस एक छलावा है
अगर साथ होता तो
तन्हा रातों में क्यों रोते
तन्हा ही ख्यालो में क्यों खोते
तन्हा दुनिया का हर वासी है
नहीं यहाँ किसी का कोई साथी है
खुशबू बिन फूल तन्हा हैं
इतनी बड़ी दुनिया में
धरती का हर एक धूल तन्हा है
दुनिया एक मेला है
फिर भी सबका दिल यहाँ अकेला है
आसमान तन्हा है,ज़मीन तन्हा है
तुम तन्हा हो,हम भी तन्हा हैं
यहाँ हर इंसान तन्हाई का मारा है
पर कहने को साथी जहां सारा है...!!!
good poem
ReplyDeletethanx sir...
Delete