कितना आसान होता है
एक पुरूष के लिए
'बस' कहकर बात
को खत्म कर देना
पर औरत के जहन पर
वही बात बोझ होती है
मानो चट्टान पर कोई
करता हो लगातार चोट
ना जाने कितनी बातें
कितने एहसास
कितनी भावनाएं
दफ्न होती है
उसके सीने में
ना चाहते हुए भी
कह देती है वो
एक सैलाब सा जो होता है
उसके सीने में
पर कह देने के बाद
खुद अफसोस करती है
और सोचती है
क्यों कह दिया
वह सब जो सीने में था
एहसास की तरह
अब ना रहा उसका कोई मुल्य
कह देने के बाद
कितना आसान होता है
एक पुरूष के लिए
रिश्ता बना लेना किसी के साथ
और यह कहते हुए खत्म भी कर देना कि
'तु्म्हें अंधेरे में नहीं रखना चाहता,
जो हुआ गलत हुआ,
माफी चाहता हूं'
कितना आसान होता है
एक पुरूष के लिए माफी मांग लेना
हालांकि वह माफी भी
काफी सोच समझकर मांगता है
नफा-नुकसान देखने के बाद
यह सोचते हुए कि कल को
वह दोषी ना करार दिया जाए
उसका दामन साफ रहे
कितना आसान होता है
एक पुरूष के लिए
अपना दामन साफ रखना
एक पुरूष के लिए
'बस' कहकर बात
को खत्म कर देना
पर औरत के जहन पर
वही बात बोझ होती है
मानो चट्टान पर कोई
करता हो लगातार चोट
ना जाने कितनी बातें
कितने एहसास
कितनी भावनाएं
दफ्न होती है
उसके सीने में
ना चाहते हुए भी
कह देती है वो
एक सैलाब सा जो होता है
उसके सीने में
पर कह देने के बाद
खुद अफसोस करती है
और सोचती है
क्यों कह दिया
वह सब जो सीने में था
एहसास की तरह
अब ना रहा उसका कोई मुल्य
कह देने के बाद
कितना आसान होता है
एक पुरूष के लिए
रिश्ता बना लेना किसी के साथ
और यह कहते हुए खत्म भी कर देना कि
'तु्म्हें अंधेरे में नहीं रखना चाहता,
जो हुआ गलत हुआ,
माफी चाहता हूं'
कितना आसान होता है
एक पुरूष के लिए माफी मांग लेना
हालांकि वह माफी भी
काफी सोच समझकर मांगता है
नफा-नुकसान देखने के बाद
यह सोचते हुए कि कल को
वह दोषी ना करार दिया जाए
उसका दामन साफ रहे
कितना आसान होता है
एक पुरूष के लिए
अपना दामन साफ रखना
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