Friday 29 July 2011

बस एक एहसास हो...


तुम अक्सर मेरे साथ होते हो...
पास ना होकर भी गोया पास होते हो...
हर एक चीज़, हर एक पहलू में तुमको महसूस करती हूँ...
कभी हवाओं में, कभी फिजाओं में महसूस करती हूँ...
तुम ना जाने कहाँ हो...
फिर भी ऐसा लगता है...
हाथ अगर बढ़ाउंगी तो छू लुंगी तुमको...
तुम ना जाने कहाँ हो...
फिर भी ऐसा लगता है...
अपने सच्चे इंतज़ार से पा लुंगी एक दिन तुमको...
पास नहीं हो तुम मेरे...
बस एक एहसास हो...
फिर भी पल पल मेरे साथ हो...
तुम क्या हो बता दो मुझे...
कहीं ऐसा ना हो...
तनहाइयों से मुहब्बत कर लूं...!!!



3 comments:

  1. बहुत खूब कहा...वैसे तन्हाई से अच्छा साथी कोई नहीं होता है:)

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    1. जी श्वेता जी सही कहा आपने...पर तन्हाई अगर ज्यादा बढ़ जाए तो जिंदगी उस तन्हाई की खामोशी में कहीं खो सी जाती है...

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